एक दुआ - 23

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23 घर का गेट उसके इंतजार में खुला हुआ पड़ा था । सच में जब हम घर में नहीं होते तो घर वालों के साथ घर भी इंतजार करता रहता है । भाई अभी तक खाने की मेज पर बैठे उसका इंतजार कर रहे थे, मम्मी शायद अपने कमरे में सोने चली गयी थी । सोर्री भैया । “सॉरी क्यों ?” “वो देर हो गयी न ?” “कोई नहीं, ऐसा ही होता है ।” “माँ ने खाना खा लिया ?” “नहीं, अभी नहीं।” “ओहह! अभी मैं सबके लिए खाना लगती हूँ ।”विशी ने खाने का पैकेट मेज पर रखा और