एक दुआ - 20

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20 “सुनो विशी अब दिल से हर काम को करो मेरी तरफ से तुम्हें सब तरह की आजादी है यही दिन हैं जी लो अपनी ज़िंदगी छुटकी॥” भैया ने आज एक बार फिर से उसे वही बातें कही जो वे पहले भी कह चुके थे । “चलो अब खाना खा लें मम्मी को आदत है न जल्दी खाने की तो आओ बैठो आकर।” विशी ने अपने हाथ धोये और गीले हाथों से ही टेबल पर आकर बैठ गयी । “हाथ तो पोंछ लो बेटा ।” मम्मी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा । उसने टेबल से नैपकिन उठाई और हाथ