हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 15

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दूसरी घटनातिथि— आश्विन कृष्णा 9 वि०सं० 1984 सोमवार (19 सितम्बर, 1927)स्थान— जसीडीह, महेन्द्र सरकारकी कोठीके पूर्व-दक्षिण भागमें(मारवाड़ी) आरोग्य भवनके पुस्तकालय में दिन के दो बजे लोग एकत्रित हुए। श्रीसेठजीने हरदत्तरायजी गोयन्दकाके कहनेपर भाईजीसे कहा कि हरदत्त कहता है, इसलिये उस दिनकी तरह आँखें खोले हुए प्रत्यक्ष भगवान्के दर्शन हों, इस बातके लिये चेष्टा करनी चाहिये। उसके बाद थोड़ी देर तो भाईजी चुप रहे। पीछे श्रीसेठजीने कहा— कुछ स्तुतिके श्लोक और 'अजोऽपि इत्यादि श्लोक बोलकर आरम्भ करना चाहिये । इसके बाद स्वयं ही 'त्वमेव माता च पिता त्वमेव' उच्चारण करके चुप हो गये। इसके कुछ मिनट बाद भाईजीने 'शान्ताकारम्' बोलकर 'अजोऽपि',