( कहानी को समझने के लिए आगे के पाठ अवश्य पढ़े )सूर्यांश को अच्छा नहीं लगा वो दादू ( विसंभर जी ) भी दिख गया था... वही विक्रांत चला जाता है... बाकि सब भी होटल चले गए थे.। रात को सूर्यांश बहुत बेचैन था वो जल्द से जल्द नंदिनी से मिलना चाहता था। वो नदिनी के दरवाज़े को अपने जादू की शक्तियों से खोल के अंदर चला जाता है. जहाँ नंदिनी आराम से सो रही थी.. प्यारी सी मुस्कुराहट लिए जैसे कोई प्यारी परी.!!। सूर्यांश उसे देख बैठ जाता है.। वो उसके चेहरे पर आये हुए बालो को हटा के