वैसे आज सामर्थ्य और याचना का ओफ़िस में सामना नहीं हुआ l आज जैसी हि अपने फ़्लैट पर पहुची देखा लाक खुला हुआ उसके इस फ़्लैट कि चाभी याचना के अलावा अयाची के पास भी होती l वो फ़टाफ़ट अन्दर जाती है तो देखती बहुत अच्छी खाने कि खुशबू आ रहा है l वो समझ जाती है कि उसके दादा रात का खाना तैयार कर रहे है l वो सोचने मे मगन थी कि किचेन से हि अयाची............ याचु फ़्रेश हो जा मै तेरे लिये दिनर लगाता हूँ वो भी तेरी पसंद का बना है l "जी