रामायण - अध्याय 6 - लंकाकाण्ड - भाग 7

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(7) मेघनाद का युद्ध, रामजी का लीला से नागपाश में बँधनादोहा : * मेघनाद मायामय रथ चढ़ि गयउ अकास।गर्जेउ अट्टहास करि भइ कपि कटकहि त्रास॥72॥ भावार्थ:-मेघनाद उसी (पूर्वोक्त) मायामय रथ पर चढ़कर आकाश में चला गया और अट्टहास करके गरजा, जिससे वानरों की सेना में भय छा गया॥72॥ चौपाई : * सक्ति सूल तरवारि कृपाना। अस्त्र सस्त्र कुलिसायुध नाना॥डारइ परसु परिघ पाषाना। लागेउ बृष्टि करै बहु बाना॥1॥ भावार्थ:- वह शक्ति, शूल, तलवार, कृपाण आदि अस्त्र, शास्त्र एवं वज्र आदि बहुत से आयुध चलाने तथा फरसे, परिघ, पत्थर आदि डालने और बहुत से बाणों की वृष्टि करने लगा॥1॥ * दस दिसि