रामायण - अध्याय 6 - लंकाकाण्ड - भाग 3

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(3) अंगदजी का लंका जाना और रावण की सभा में अंगद-रावण संवादचौपाई : * इहाँ प्रात जागे रघुराई। पूछा मत सब सचिव बोलाई॥कहहु बेगि का करिअ उपाई। जामवंत कह पद सिरु नाई॥1॥ भावार्थ:- यहाँ (सुबेल पर्वत पर) प्रातःकाल श्री रघुनाथजी जागे और उन्होंने सब मंत्रियों को बुलाकर सलाह पूछी कि शीघ्र बताइए, अब क्या उपाय करना चाहिए? जाम्बवान्‌ ने श्री रामजी के चरणों में सिर नवाकर कहा-॥1॥ * सुनु सर्बग्य सकल उर बासी। बुधि बल तेज धर्म गुन रासी॥मंत्र कहउँ निज मति अनुसारा। दूत पठाइअ बालि कुमारा॥2॥ भावार्थ:- हे सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाले)! हे सबके हृदय में बसने वाले