अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्यों ही पैरों को सीधा किया, एक अजीब से दर्द के आनंद का अनुभव हुआ। दर्द इसलिए कि घुटने जितनी पीड़ा पाँव फैलाने में देते हैं, उससे अधिक पाँव सिकोड़ने में भी देते हैं और आनंद इसलिए कि उन्होंने यह बुढ़ापा समय से पहले ही बुला लिया था। चेतन ने अपने जीवन में आने वाली हर चीज़ का दिल खोलकर स्वागत किया है। भले ही वह कोई अतिथि हो, ख़ुशी हो अथवा कोई भी परेशानी ही क्यों न हो और अब बुढ़ापे का भी स्वागत