एक रेखा और *** कहानी अंश... ‘अब जब देखो, तब ही महारानी के समान बिस्तर पर आराम फरमाती रहती है। एक तो लड़की पैदा की और वह भी मरी हुई . . . . .’ अरे, हमने भी ये सब किया था। इतना आराम तो हमने कभी भी नहीं किया था। हमने तो पांच पैदा किये हैं और वह भी खेलते-कूदते हुये। डलीवरी क्या हुई, मानो आसमान से तारे तोड़ कर लाई है?’ *** एक रेखा और .... सामाजिक कहानी जुलाई में जब कालेज खुल गये तो पहले दिन की अपनी इतिहास की कक्षा में आई हुई नई छात्राओं का