यह पूरी कायनात टिकी है दया और प्यार पर। मनुष्य कितना भी शक्तिशाली हो। कितना भी बुद्धिमान हो। कितना भी पढ़ा लिखा हो। कितने भी पैसे वाला हो। अगर उसके अंदर दया और प्यार नहीं है तो वह सिर्फ एक रोबोट है एक मनुष्य नहीं। मनुष्य में दया और प्यार के गुण स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं। दया मनुष्य को जहां मानव बनाती है, वहां प्यार उसे एक महामानव बनाता है। प्यार के कारण बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने अपने सिंहासन त्याग दिए। राजा भरत को प्यार के कारण ही मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ और वह जड़ भरत नाम से