हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 13

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बम्बई छोड़नेका उपक्रम एवं विदाई'कल्याण' का पहला अंक निकालकर भाईजी निश्चिन्त हुए ही थे औषधोपचारसे कोई लाभ नहीं हुआ। उनके लिये एक विशेष अनुष्ठान कि एक नयी चिन्ता आ पड़ी। श्रीसेठजीका स्वास्थ्य विशेष खराब हो गया। उनके यज्ञोपवीत-गुरु बीकानेरके पं० गणेशदत्तजी व्याससे भाईजीने करवाया। भगवत्कृपासे अनुष्ठान पूरा होते ही श्रीसेठजी स्वस्थ हो गये।भाईजीके व्यवहारसे एवं साधनासे बम्बईके मारवाड़ी समुदायमें भाईजीकी बहुत प्रतिष्ठा हो गई थी। वे इस मान-बड़ाईके चक्करसे निकलना चाहते थे। भाईजीके मनमें इस प्रपञ्चसे उपरामता तेजीसे बढ़ रही थी। सारे कार्य करते हुए भी मन प्रभुकी ओर लगा रहता था। प्रभु तीव्रतासे अपनी ओर खींच रहे थे। सोचने