नन्हे दीदी

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ये बात उस वक्त की है जब हम ग्रेजुएट कर रहे थे, और पढ़ाई का बहुत दवाब हुआ करता था हमारे ऊपर हम बहुत परेशान से रहते थे। घर के लोगो से कुछ कहते तो लोग मुझे लेकर बहुत कुछ बोला करते थे उनको लगता था, कि मैं जान बूझ कर शैतानी करती हूं मैं पढ़ना ही नही चाहती, पापा हमेशा डाटा करते थे कोई ये नही पूछता था कि तुम पढ़ क्यू नही रही हो किया बात है केसे पढ़ाई में मन नही आता बस सब लोग हमारी परीक्षा के आते ही हमारे ऊपर दबाव बनाने लगते। उस वक्त