हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 11

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भगवान् श्रीराम के दर्शनश्रीसेठजीके दस दिनोंके सत्संगके पश्चात् भाईजीकी अपनी साधनामें बड़ी तीव्रता आ गयी थी। उन दिनों भाईजी विशेष रूपसे निर्गुण निराकार ब्रह्मकी उपासना करते थे पर उनकी निष्ठा भगवान् और भगवन्नाममें वैसे ही बनी हुई थी। सच्चे संतका संग अमोघ होता ही है।श्रीसेठजीसे निर्विशेष ब्रह्मकी धारणा, ध्यानकी बातें भी दस दिनोंमें काफी हुई थी। उसीके अनुसार नियमित रूपसे ध्यान करने लगे। अल्पकालमें ही भाईजीकी कितनी ऊँची स्थिति होने लग गयी थी--इसका विवरण स्वय भाईजीके समय-समयपर श्रीसेठजीको लिखे हुए पत्रोंसे ही पता चलता यथा—"पत्र लिखते समय आनन्दमय बोधस्वरूप परमात्मामें प्रत्यक्षवत्स्थिति है। कलमसे अक्षर लिखे जा रहे हैं। लिखनेकी जो