सोई तकदीर की मलिकाएँ - 49

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  49   चिङिया को अपना आहार निगलते देख कर सुभाष दार्शनिक हो गया था । सौभाग्य या दुर्भाग्य क्या है , बस वक्त का फेर । एक का सौभाग्य अक्सर दूसरे का दुर्भाग्य हो जाता है । जैसे शरण का जयकौर के ब्याह के एवज में जमीन और ट्रैक्टर का मालिक हो जाना । जैसे भाइयों के सौभाग्य के बदले जयकौर का भोला सिंह की ब्याहता हो जाना । जैसे जयकौर के हवेली में आ जाने के बाद बसंत कौर ... ।अपनी सोचों में खोया हुआ सुभाष भलविंदर सिंह उर्फ भोला सिंह के पीछे पीछे चलता रहा । करीब