ताश का आशियाना - भाग 24

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वही सी हर रोज की सुबह होती है।रागिनी उठती है, उसके बाजू प्रतिक्षा को ना देख उसकी आंखे खुल जाती है।"कहा हो तुम?" रागिनी ने प्रतीक्षा को पुकारा।" मैं बाथरूम में हु, आ रही हु।" इंसान का दिमाग खाली नहीं बैठना चाहता उसे हर वक्त जिज्ञासा की भूख रहती है उसी एक जिज्ञासा को मिटाने के लिए रागिनी ने सुबह सुबह उठ इंस्टाग्राम खोला।इंस्टाग्राम खोलते ही वह नोटिफिकेशन पर गई।किसी तुषार@21(फेक Id) से मैसेज आया था।"हेलो रागिनी जी।""वह हम कल मिले थे।""मैं सिद्धार्थ के साथ आया था कल।""वह आज बॉस प्रतिक्षा के साथ जाने वाले हैं बनारस पर डॉक्यूमेंट्री करने।""आज