लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-131 केतकी को विश्वास ही नहीं हो रहा था। सामने से ट्रॉली खींचते हुए मालती आ रही थी। केतकी अपनी ट्रॉली भूलकर मालती की ओर दौड़ी। मानो कई सालों से बिछड़ी हुई सगी बहन उसे मिल गयी हो, ऐसा आनंद उसके चेहरे पर दिख रहा था। उसने मालती का हाथ पकड़ लिया। उससे गले मिलने की इच्छा हो रही थी। उसके कंधे पर अपना सिर रखकर रोने का मन कर रहा था। केतकी को बहुत खुशी हो रही थी लेकिन मालती के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे केतकी से