बंजर

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  अमन कुमार त्यागी जिस्म को झुलसा देने वाली तेज़ धूप थी। मेरे कदम तेज़ी से आगे बढ़ते चले जा रहे थे। दिमाग़ में एक साथ अनगिनत सवाल थे। क्या पति परमेश्वर ही होता है, भले ही वो पत्नी को जुए में हार जाए या घर से निकालकर जंगल में भटकने के लिए छोड़ दे, या फिर वह ऐसा संप्रभुशक्ति संपन्न होता है.. कि.. जो मन में आए करें और औरत को प्राणी न समझकर एक निर्जीव वस्तु ही समझे, या फिर ग़लती औरत की ही होती है कि वह बचपन से ही एक अदद मर्द की ज़रूरत के लिए