झोपड़ी - 13 - जात -पात छोड़ो

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रमेश प्रसाद एक उच्च कुल की ब्राह्मण हैं। बचपन में ही उनके माता- पिता की मृत्यु हो चुकी थी। उनके तीन -चार भाई-बहन और थे। रमेश ने अपनी पूरी जिंदगी अपने भाई -बहनों के पीछे लगा दी। उन्हें अच्छी शिक्षा दी। उनकी शादी वगैरह की और उन्हें अच्छी तरह जीवन में स्थापित किया। अब उनके सभी भाई-बहन अपने -अपने परिवारों में खुश थे। पर रमेश आज अकेले रह गए। समय पर उनकी शादी भी नहीं हुई। आज वह 55 बरस के हो चुके हैं। अकेलेपन से घबरा कर उन्होंने शादी करने की सोची। लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए किसी