मजदूर - भाग 1

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रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता है रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द सुनायी दिये गहरी निद्रा से जागा उसे ऐसे लगा वह एक नई ऊर्जा के साथ जिंदगी के एक नई सुबह कि शुरुआत पिता के आशीर्वाद से प्रारम्भ कर रहा है।रामू तुरंत दैनिक क्रिया से निबृत्त होकर अपने अध्ययन में जुट गया यही प्रक्रिया उसके जीवन कि शैली थी प्रतिदिन पिता केवल उसे चार बजे ब्रह्म बेला में लगभग चार बजे उठाते और वह सात बजे तक अध्ययन करता और आठ