जानकारी ही बचाव

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अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘देखा, वर्मानी ने कैसे अपनी धी को घर में रख रखा है। जब शर्मानी की लड़की की ससुराल में झगड़ा हुआ था तो इसी ने सबसे ज़्यादा फ़ज़ीहत की थी।’ कोई कहती- ‘नीता के ससुराल वाले भी अजीब हैं, पाँच महीने हो गए, कोई भी लेने नहीें आया।’ कोई कहती- ‘मुझे तो लग रहा है... कोई बड़ा लफड़ा हो गया है।’ कोई कहती- ‘शादी