भगवान् की आराधना से सब कुछ हो सकता है, अब तक होता आया है और आगे भी होता रहेगा। संसार के इतिहास में ऐसा कोई दृष्टान्त नहीं है कि किसी ने आराधना करके अपनी अभिलषित वस्तु न प्राप्त की हो। सभी कुछ-न-कुछ चाहते हैं। सभी कुछ-न-कुछ पाने के लिये अशान्त हैं। सभी अपनी अभीष्ट वस्तु प्राप्त करने के लिये प्रयत्न कर रहे हैं। परंतु किसी को भी पूर्ण सफलता मिलती नहीं दीखती। इसका कारण क्या है ? सफलता का जो वास्तविक मार्ग है, उस पर बहुत लोगों की दृष्टि ही नहीं है। अपनी बुद्धि की शक्ति से; अपने शरीर की