युगांतर - भाग 16

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यह दिल भी न जाने कैसी चीज है, जो पहले गलतियाँ करवाता है और गलती हो जाने पर परिणाम का डर दिखा-दिखाकर सताता है। यादवेन्द्र भी इस दिल का शिकार है। शांति उसके पास चलकर ख़ुद आई थी और वह उसको सिर्फ मन बहलावे का साधन मानता था। दिमाग के अनुसार ऐसे लोगों के बारे में ज्यादा सोचना ठीक नहीं होता, लेकिन दिल तो दिल होता है और दिल कह रहा है कि जिसके साथ इतना समय गुजारा हो, जो उसकी खुशी का कारण रहा हो, उसे ऐसे ही कैसे छोड़ा जा सकता है। उसे शांति की चिंता सताती है।