दिव्या

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अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है....मुझे एक बार में ही मार डालो।....अब जीने का मन तो वैसे भी नहीं रहा।’ -‘पेशेंस रखो दिव्या। परेशान मत हो। तुम्हें नई ज़िंदगी मिलेगी। बीती बात भूलने का प्रयास करो।’ -‘नहीं भूल सकती डाॅक्टर और अब नई ज़िंदगी भी मौत के बाद ही संभव है, मुझे ज़हर का इंजेक्शन लगा दो। मुझ पर रहम करो, मेरी हालत जीने लायक नहीं है। अब तो भगवान पर भी