हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 3

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जन्म:शिलांग पहुँचने के कुछ समय बाद रामकौर देवी को रिखीबाई के गर्भवती होने का पता लगा तो उनके आनन्द की सीमा नहीं रही। परम अभिलषित वस्तु की प्रतीक्षा में हृदय की क्या अवस्था होती है— यह किसी से सुनकर समझा नहीं जा सकता है। पल-पल पर विघ्न की आशंका से मन कैसे चंचल हो उठता है --यह तो सर्वथा भुक्त भोगी ही जानता है। आखिर वह परम पुण्यमय क्षण उपस्थित हुआ आश्विन कृष्ण 12 वि०सं 1949 (दि० 17 सितम्बर सन् 1892) को रिखीबाई ने पुत्ररत्न प्राप्त किया। यह सुयोग हनुमानजी के दिन शनिवार को संघटित हुआ। सभी को देखकर बड़ा