अथ श्री प्लास्टर कथा

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बचपन से ही थोडा चंचल प्रवृत्ति का होने के कारण किसी एक जगह या एक काम में ज्यादा देर मन नहीं लगता था| यहाँ तक की स्कूल में लगातार क्लास में बैठना बहुत बोर करता था| इस कारण अक्सर दो पीरियड के बीच में एक टीचर के जाने के बाद और दूसरे के आने के पहले मौका मिलते ही हम दोस्तों के साथ बाहर ग्राउंड में भाग जाया करते थे| ग्राउंड बड़ा होने के कारण अक्सर पकड़ में नही आते और जब पकडे जाते तो फिर सजा भी मिलती थी|पर कभी सज़ा मिलने का कोई अफ़सोस नहीं होता था  क्योंकि