रात के दो(2) बज रहे थे और रितिक अपने दोस्त अमर के साथ कार ड्राइव कर रहा था। कार तेज स्पीड के साथ अपने रास्ते पर भागी जा रही थी। चारो ओर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। आस पास ना तो कोई घर था और ना ही कोई दुकान। अमर विंडो से बाहर देखते हुए रितिक से कहता है," लगता है अमरपुरा के जंगल शुरू होने वाले है, एक काम कर, आगे हनुमान जी का मंदिर पड़ेगा, थोड़ी देर के लिए कार वहीं रोक लेना। हम बिना मंदिर के दर्शन किए आगे नहीं जा सकते।"रितिक हामी में अपना सिर हिलाते