प्रेमशास्त्र - (भाग-७) - अंतिम भाग

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उद्धवजी राधाजी से कहने लगे - पूरे ब्रजमंडल को दुःख में क्यो डूबो रखा है आपने ? अब माधव कभी लौटकर नहीं आएंगे ... राधाजी धीमे स्वर में किंतु आत्मविश्वास से बोली - "लौटकर तो वह आते है उद्धवजी जो कही जाते है। कृष्ण तो कही गए ही नहीं। क्या आपको यहाँ कृष्ण दिखाई नही देतें ?" उद्धवजी यहाँ-वहाँ देखने लगते हैं तो क्या देखते है - हर जगह सिर्फ़ कृष्ण ही है । कृष्ण के सिवा कुछ है ही नहीं। कही पेड़ पर बंशी बजाते हुए , कही गाये चराते हुए , कही गोप ग्वालों के साथ हँसी-ठिठोली करते