अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में बनी डरावनी भूतिया फिल्मों को देख बेसाख़्ता हँसी छूटा करती थी तो वहीं रामगोपाल वर्मा के निर्देशन में बनी डरावनी फिल्मों को देख कर इस कदर डर भी लगने लगा कि देर रात जगने के बाद बॉलकनी का दरवाज़ा चैक करने में भी डर लगता था कि कहीं ग़लती से खुला ना रह गया हो। अब इसी डर में अगर थ्रिलर फिल्मों सा रहस्य और रोमांच भी भर