शांति आज हार न मानने की ठान कर आई थी, इसलिए उसने नया तर्क दिया, "एक गलती को छुपाने के लिए दूसरी गलती करना तो उचित नहीं।" उधर यादवेन्द्र भी आसानी से मानने वाला कहाँ था। वह उसके तर्क का भी तोड़ प्रस्तुत करते हुए कहता है, "उचित है, क्योंकि यही संसार का नियम है, एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं, एक गलती को छुपाने के लिए सौ गलतियाँ करनी पड़ती हैं। तुम्हें तो सिर्फ एक गलती और करनी है। तू हाँ कह, सारी व्यवस्था हो जाएगी और किसी को कानो-कान खबर भी नहीं होगी।"