इज्जत का बंटवारा

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"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमेश के दूसरे दोस्तो ने भी किया था।रमेश दोस्तो से बटवारे की बात सुनकर बहुत नाराज हुआ था।लेकिन दोस्तो ने उसे सब्जबाग दिखाए।अलग होने के फायदे बताए।तब उसके दिमाग मे भी यह बात बेथ गयी।और एक दिन रमेश ने बड़े भाई से अलग होने की इच्छा प्रकट कर दी।सुरेश ,रमेश के मुह से बटवारे की बात सुनकर चौका थाउनके पिता दीनानाथ इस संसार को छोड़ने