चर्चा आमकी सियासत में

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                        चर्चा आमकी सियासत में                     यशवन्त कोठारी         इधर काफी समय से एक विज्ञापन पर नजरें  जमीं हुई थीं, जिसमें एक युवती आम-सूत्र शब्द का उच्चारण इस अंदाज में करती है कि दर्शकों-पाठकों को काम-सूत्र शब्द का आभास होता था। इधर सियासत में भी आम काफी चर्चा में हैं. कवि हैरान परेशान था। इधर आम का मौसम आ गया है, सो कवि ने काम-सूत्र की तर्ज पर आम-सूत्र पर लिख मारा। जैसा कि चचा गालिब फरमा गये है केवल गधे ही आम नहीं खाते चूंकि कवि गधा नहीं है सो आम