जियले के नाव घुरहू

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कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अपनी कूबत में तुम लोगन का परिवरिश कर रहे है बाकी ईश्वर कि मर्जी जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये आशीष और भी तुनक गया आखिर काहे चौबीसों घण्टे बापू अपनी माली हालात के रोना रोअत रहत है ।ऐसे का होई जाई कुछ सोच लईकन के पढावे लिखवाए वदे हाथ पर हाथ धरे बइठे कौनो काम ना