हादसा - भाग 3

  • 3.7k
  • 2
  • 2k

प्रकाश की बात मानकर ना चाहते हुए भी पूनम अनमने मन से प्रकाश का हाथ पकड़कर नाव पर चढ़ने लगी। चढ़ते-चढ़ते वह सोच रही थी कि प्रकाश ठीक ही तो कह रहा है, इन लोगों का तो रोज का यही काम है। तब तक नाविक ने बैठे हुए लोगों को खसकाना शुरु कर दिया। “अरे मैम साहब थोड़ी जगह करिए, अरे साहब आप भी थोड़ा खसकिये ना, बैठने दीजिये साहब और मैम साहब को।” धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा खसका कर नाविक ने जैसे-तैसे जगह बनवा ही दी। ख़ुशनुमा मौसम था, चाँदनी हर तरफ अपना सौंदर्य बिखेर रही थी। सरिता मंद-मंद मुस्कुरा कर