गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 47

  • 2.4k
  • 2
  • 1.2k

भाग 46 जीवन सूत्र 54 समुद्र की तरह सब कुछ समा लेने का गुणगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है: -आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठंसमुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्।तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वेस शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।2/70।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन!जैसे सब ओर से परिपूर्ण अचल प्रतिष्ठा वाले समुद्र में अनेक नदियों के जल उसे विचलित किए बिना ही समा जाते हैं,वैसे ही जिस पुरुष में कामनाओं के विषय भोग उसमें विकार उत्पन्न किए बिना समा जाते हैं, वह पुरुष परम शान्ति प्राप्त करता है, न कि भोगों की कामना करने वाला पुरुष। समुद्र का स्वभाव अनुकरणीय है।नाना प्रकार की नदियों का जल उसमें समा जाता है।