भाग 45 जीवन सूत्र 53 दिन और रात के वास्तविक अर्थ गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है:-या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।2/69।।इसका अर्थ है,सम्पूर्ण प्राणियों के लिए जो रात है,उसमें संयमी मनुष्य जागता है,और जिसमें सब प्राणी जागते हैं तथा सांसारिक सुविधाओं,भोग और संग्रह में लगे रहते हैं,वह आत्म तत्त्व को जानने वाले मुनि की दृष्टि में रात है। निद्रा और जागरण के अपने-अपने अर्थ होते हैं।सामान्य रूप से मनुष्य दिन में अपने सारे कार्यों को संपन्न करता है और रात्रि में विश्राम करता है।दिन जागने के लिए है तो रात सोने