गातांक से आगे... सरगम बडे आराम से आदित्य की घडी़ मे अटका अपना पल्लू निकालती है और आजाद़ कर देती है उसे... आदित्य एक क्षण भी वहा नही रूकता और लम्बे लम्बे कदम भरता हुआ घर से बाहर निकल जाता है और गाडी मे बैठ कर एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है ! सरगम भाग कर छत पर जाती है और तब तक गाडी को जाते हुए देखती है जब तक वो उसकी आँखो से ओझल ना हो गई हो..! ना चाहते हुए भी उसकी आँखे छलक ही जाती है ! आदित्य भी एयरपोर्ट की तरफ बढ़ रहा था ,