सफ़र

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सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो खुले गगन मे शकून देने के लिये बुला रहे थे। मन हॉस्पिटल से बाहर निकलने को बड़ा उतावला हो रहा था, अभी दो दिन बाद सही से चेतना लौटी थी। सेठ जी का किडनी ट्रान्सप्लान्ट करने हेतु ऑपरेशन हुआ था, उम्र भी तो पैंसठ साल के करीब हो गयी थी। बांयी तरफ कक्ष के कोने मे, नर्सिंग स्टाफ की टेबल लगी थी, जिस