ब्रह्मचारी...

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अचलराज!तुम ऐसा नहीं कर सकते,महाराज अपारशक्ति ने हस्तक्षेप करते हुए कहा... किन्तु!क्यों महाराज? अचलराज ने पूछा.. क्योंकि तुम इस राज्य के उत्तराधिकारी हो,महाराज अपारशक्ति बोले... किन्तु महाराज!मुझे इस राजपाठ में कोई रुचि नहीं है,क्या मेरा जन्म इसलिए हुआ है कि मैं इस माया-मोह में फँसकर अपने अस्तित्व को भूल जाऊँ?,मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरा जन्म सत्कर्मों के लिए हुआ है,मुझे अभी इस संसार को जानना है एवं इसके पश्चात अपनी तृष्णाओं से मुक्त होना है,मुझ पर तरस खाएं महाराज!,मैं विवश हूँ,कृपया मुझे क्षमा करें एवं अपने राज्य हेतु किसी और को उत्तराधिकारी चुने,अचलराज बोला... तुम मेरे पुत्र हो