दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ बटांती और स्कूल पढ़ने जाती जबकि चंचल स्कूल तो जाती मगर घर के किसी काम में हाथ बटाने के बजाए वह खेलने में ज़्यादा ध्यान देती। जब भी पिताजी बाहर से कोई खाने की वस्तु लेकर आते, सबसे पहले चंचल खाती और बच जाती तो सरिता को मिलती। सरिता जब कभी माँ या पिताजी से शिक़ायत करती तो दोनों