फौजी की फौजन

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ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है,ये घटना उस समय की है जब बुन्देलखण्ड के कई इलाकों में डकैतों का बोलबाला था,लोंग रातों को घर से बाहर निकलने में भी डरते थे,क्योंकि रातोंरात डाकू सारे गाँव को ही लूट कर ले जाते थे,गाँवों में बिजली की उचित व्यवस्था ना होने के कारण डाकूओं के लिए ये काम और भी आसान होता था,उस समय गाँवों में टेलीफोन वगैरह भी नहीं हुआ करते थे इसलिए पुलिस तक भी सूचना पहुँचने में बहुत देर लगती थी,उस समय डाकुओं का इतना भय था कि यहाँ तक कि दिन में भी लोंग सफ़र करने