ममता की परीक्षा - 132

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"जी ठीक है !" कहकर बिरजू की माँ जैसे ही पलटी उसे रजनी दिखी, हाथों में लोटे से भरा हुआ पानी लेकर बाहर आती हुई। रामलाल को पानी देकर वह बोली, "अंकल जी, आप बस पाँच मिनट और इंतजार कीजिए। पाँच मिनट बाद हाथ मुँह धोकर आइए, मैं प्रयास करती हूँ।"और उनके जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही वह जल्दी से आंगन में आ गई जहाँ बाहर से आकर बिरजू की माँ दाल बघार रही थीं।चावल की हांडी पहले ही वह उतार चुकी थी। उसके नजदीक जाकर रजनी बोली, "आंटी जी, आप आटा कहाँ है बता दीजिए, रोटी मैं बना