विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 27

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विश्वास (भाग -27)बाजार से आकर टीना ने जो खरीदी वो सब दिखाया। उमा जी तो बस पोती को पहले की तरह हँसते खिलखिलाते देख खुश थी। सरला जी टीना के लिए अपने हाथों से सिल कर एक कुरती लायी थी। रंग बिरंगी कुरती टीना को बहुत सुंदर लगी। "दीदी ये शॉल आपके लिए लाई हूँ"। "ये तो बहुत सुंदर है आँटी जी, टीना ने शॉल देखते ही कहा और यह जरूर बाहर से कोई दीदी लायी होंगी आपके लिए"। "हाँ बेटा तेरी दीदी ही लायी थी जब पापा को देखने आयी"। "सरला यह तुम रखो, मेरे लिए अगली बार मँगवा