मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं शिकार के पीछे पड़ा रहता हूँ। मुझे शिकार का बड़ा भारी शौक़ है। यहाँ तक कि मैं उसके सामने अपने माँ, बाप, पुत्र, कलत्र और प्यारे प्राणों को भी कोई चीज़ नहीं समझता हूँ। आप लोग मेरे कहने को अगर झूठ समझते हों तो आप एक