अग्निजा - 129

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लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-129 पांच मिनट तक किसी ने कुछ नहीं कहा। बोल ही नहीं पा रहा था कोई कुछ। सबकी नजरों में सवाल थे, पर उत्तर किसी के पास नहीं थे। तो कुछ लोग उत्तर देने की स्थिति में ही नहीं थे। ऐसे ही पांच-सात मिनट गुजर गये और केतकी नैपकिन से अपना चेहरा पोंछते हुए बाहर आयी।  भावना भागकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आयी। उसने केतकी के सामने रख दिया। केतकी ने उसकी तरफ देखा लेकिन हाथ नहीं बढ़ाया। भावना ने ग्लास टेबल पर रख दिया और वह केतकी के पैरों के पास बैठ गयी। प्रसन्न