अग्निजा - 122

  • 2.3k
  • 1.3k

लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-122 सोने से पहले केतकी ने खुद से कहा, ‘गोआ में खूब मौज मस्ती करनी है...ये दिन अपने लिए और केवल अपने लिए जीना है। अपने लिए और अपने ऊपर प्रेम करने वालों की इच्छा का सम्मान करने के लिए।’ और फिर वह सपने में तुरंत गोआ पहुंच गयी। अस्पष्ट...धुंधले...अचानक पानी की एक बड़ी लहर आयी और उसे खींचने लगी। केतकी चौंककर जाग गयी। आंखों पर बंधी पट्टी खोलकर देखा तो सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। लेकिन उसके साथ वाली लाइन में बैठी लड़की मोबाइल पर चैटिंग करती बैठी हुई थी। उस समय रात