महाभारत हार गयी परन्तु दुर्योधन जीत गया । © 2021-2024 Vaani All Rights Reserved "दुर्योधन"- यह नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। मनुष्य मरने से पहले अपनी छाप अपने कर्मों द्वारा छोड़ जाता है उसी प्रकार दुर्योधन भले ही मर गया हो परन्तु उसके कर्मों की छाप आज भी जीवित है। जिसकी गाथा इतिहास चीख-चीख कर सुनाता है। "महाभारत" को महाकाव्य के रूप में लिखा गया था । इसे भारत का ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य ग्रंथ है। इसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ। कहते हैं,