बालऋषि नचिकेता

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भारत की पावन धरा पर अनेक ऋषि मुनि, साधक व संन्यासी अवतरित हुए हैं जिन्होंने अपने तप, त्याग व आध्यात्मिक बल पर समाज का मार्गदर्शन किया व लोगों में सांस्कृतिक मूल्य एवं आदर्श गुण रोपित किए।इन ऋषियों का जीवन अत्यंत पवित्र था। उनका जीवन ध्येय था— 'सर्वे सुखिना भवंतु' (सब की भलाई हो, सब सुखी हो)। वेदों का अध्ययन-अध्यापन करना, यज्ञ-तप करना, दान दक्षिणा और चिंतन-मनन करना ही इनकी दिनचर्या थी। इनका निवास तपोवन में था। घास व पत्तों की झोपड़ियाँ ही इनका घर कहलाती थीं।ऐसे ही एक तपोवन में उद्दालक नाम के ऋषि अपनी पत्नी विश्ववरा के साथ रहते