मेट्रो तेज़ी से राजीव चौक की तरफ भाग गयी थी। रीमा मेट्रो मे खड़ी संजय याद मे खोई हुई और कुछ परेशान भी। स्टेशन आता है उसकी आंखे इधर उधर संजय को खोजती हैँ। संजय दूर खड़ा हाथ हिलाता है " रीमा!"। रीमा उसकी तरफ फीकी सी मुस्कुराती है। पास जाने पर संजय कहता है " कैसी हो? चलो कहीं चल कर बैठते हैँ " वह रीमा का हाथ पकड़ता है। रीमा पकड़ छुड़ा कहती है " हम्म चलो " संजय को अजीब लगता है " क्या हुआ? ""कुछ नहीं, बाहर चल कर बात करते हैँ " मेट्रो के शोर