तुम दूर चले जाना - 9

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किरण इस बार प्रसन्न ही नहीं, बल्कि सन्तुष्ट भी थी। इस समय उसे ज़माने के किसी भी दुख की परवाह नहीं थी। लगता था कि जैसे वह अपना पिछला सारा अतीत भूल गयी थी। इस समय उसका मन-मस्तिष्क, दोनों ही स्वस्थ और प्रसन्न ये। दीपक ने ऐसे ही वातावरण में अपने दिल का बोझ हल्का करने की बात सोची, तो वह अचानक ही गंभीर पड़ गया। आँखों में किरण के साथ के वे पिछले सारे दिन चलचित्र के समान आकर चले गये, जिन्हें वह अपने प्यार का वास्ता देकर उसके साथ बिता चुका था। जिन्दगी के इन ढेर सारे जिये