यह कहानी है 1997 की। मेरा जन्म हुए अभी 6 महीने ही क्या हुए थे कि मुझे निमोनिया जैसी बीमारी ने जकड़ लिया था। मेरे हालात कुछ ऐसे हो गए थे जैसेकि मैं बचूँगा ही नहीं। मेरे माता-पिता बहुत परेशान और चिंतित थे। मुझे शहर के हर अस्पताल में ले गए। लेकिन सबने हाथ खड़े कर लिए थे। माँ बहुत घबराई हुई थी, लेकिन उम्मीद कर रही थी कि मेरा बेटा ठीक हो जाएगा। उन्होंने बहुत सारे मन्नतें भी मानी थी। इस आश में मेरे माता-पिता ने दिन रात एक किए हुए थे। भूखे प्यासे तो कभी दुकान से थोड़ी